पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी को सोशल मीडिया के कुछ दिलचस्प और चर्चित किस्सों का पता होता, तो शायद वो ऐसी गलती कभी नहीं करते। उन्होंने खुद पर गढ़े गए एसएमएस-ईमेल और ब्लॉग पोस्ट पर पाबंदी लगाने के लिए “दोषियों” को 14 साल की जेल का ऐलान कर डाला। अपनी नीतियों पर जनता की आलोचना से भन्नाए राष्ट्रपति के इस फरमान का खुलासा किया गृहमंत्री रहमान मलिक ने।
उनके मुताबिक, फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वो लतीफे वाले ई-मेल और एसएमएस पर नजर रखे और दोषियों को साइबर क्राइम एक्ट के तहत जेल में ठूंस दे। लेकिन, जरदारी और मलिक का यह दांव उल्टा पड़ गया है। जरदारी पर गढ़े लतीफे एसएमएस, ई-मेल, ब्लॉग और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर खूब दिख रहे हैं। राष्ट्रपति साहब अब इस बात पर खफ़ा हैं कि इतनी जबरदस्त चेतावनी के बावजूद भी ऐसा क्यों हुआ। दरअसल,ऐसा होना ही था। सोशल मीडिया के किसी भी माध्यम में कंटेंट के आने के बाद उस पर जबरदस्ती पाबंदी लगभग नामुमकिन है। ऐसे उदाहरणों की लंबी फेहरिस्त है।
अमेरिका में चंद साल पहले पायलट गैब्रिली एडलमैन और फोटोग्राफर केनेथ एडलमैन ने अपनी साइट कैलिफोर्नियाकोस्टलाइनडॉटओआरजी के लिए पूरे समुद्र तट के फोटो खींचे तो उनमें एक तस्वीर मशहूर गायिका बारबरा स्ट्रीसैंड़ की भी थी। बारबरा ने जिद की कि उनके घर का फोटो साइट से हटाया जाए। इस बात की भनक लगते ही नेट प्रेमियों के बीच इस फोटो का धुआंधार आदान-प्रदान हुआ। तमाम साइटों और ब्लॉग पर फोटो चस्पां हो गया। नतीजा,बारबरा का यह घर आज भी नेट पर देखा जा सकता है।
इसी तरह,पाठकों द्वारा किसी ब्लॉग,साइट या ट्विटर की पोस्ट की रेटिंग करने वाली वेबसाइट डिगडॉटकॉम पर 2007 में एचडी-डीवीडी को तोड़ने वाला एक कोड़ जबरदस्त हिट हुआ। सिर्फ एक दिन के भीतर 3172 ब्लॉग पर इस कोड़ का ज़िक्र किया जा चुका था। फिल्म इंडस्ट्री ने डिग पर कानूनी कार्रवाई का ऐलान किया तो डिग के संस्थापक कैविन रोज़ ने फौरन मूल कोड़ हटा लिया। लेकिन,तब तक लाखों लोग इस कोड़ को न केवल जान चुके थे,बल्कि कोड़ तोड़ने का वीडियो ‘यूट्यूब’ पर भी आ चुका था। डिगडॉटकॉम सिर्फ साइट-ब्लॉग का एग्रीगेटर है,लिहाजा इसमें उसकी कोई गलती नहीं थी। लेकिन,कार्रवाई की बात ने कोड़ के प्रचार में अहम भूमिका निभायी।
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